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 सदस्य विवरण

 सदस्य सम्मान

U.P.Gov.Reg.no. 615 /16-17 मनुष्य की सहायता प्रथम धर्म है। उ.प्र.सरकार पंजी. सं. 615 /16-17

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जिनके चेहरे पर सदैव मुस्कान छलकती रहती है। जिनमें अहंकार नाममात्र का भी ना हो। जिन्होंने सदैव अपने कर्म को ही धर्म माना है। डॉ. मनीष त्रिपाठी भैया जी उन्होंने सदैव अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया है। इन्होंने लॉकडाउन के बाद भी अपने पांव पीछे नहीं खींचे और लगातार समाज में अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया। वह सदैव मरीजों से हंसकर ही बातें करते हैं। उनका इलाज करते हैं। अपने कर्तव्यों से सदैव लोगों को आकर्षित करते रहते हैं। सेवा को ही अपना प्रथम धर्म एवं कर्म मानते हैं। सदैव संस्था के कार्यों में सम्मिलित होते रहते हैं। और अपने बहुमुखी प्रतिभा से सभी को आकर्षित करते रहते हैं। सदैव प्रभु का गुणगान करके अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भैया।


जिनके चेहरे पर सदैव मुस्कान छलकती रहती है। जिनमें अहंकार नाममात्र का भी ना हो। जिन्होंने सदैव अपने कर्म को ही धर्म माना है। डॉ. मनीष त्रिपाठी भैया जी उन्होंने सदैव अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया है। इन्होंने लॉकडाउन के बाद भी अपने पांव पीछे नहीं खींचे और लगातार समाज में अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया। वह सदैव मरीजों से हंसकर ही बातें करते हैं। उनका इलाज करते हैं। अपने कर्तव्यों से सदैव लोगों को आकर्षित करते रहते हैं। सेवा को ही अपना प्रथम धर्म एवं कर्म मानते हैं। सदैव संस्था के कार्यों में सम्मिलित होते रहते हैं। और अपने बहुमुखी प्रतिभा से सभी को आकर्षित करते रहते हैं। सदैव प्रभु का गुणगान करके अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भैया।


सेवा ही जिनका धर्म हो। जिन्होंने लगातार समाज में अपनी सेवाएं देते रहे हैं। समाज सेवा से कभी भी पांव पीछे नहीं खींचा। सदैव समाज में सभी दीन - दुखियों की सेवाएं करते रहे हैं। जो सदैव नर सेवा को नारायण सेवा मानते रहे हैं। बबलू भैया जी जो सदैव अपने कार्यों से सदैव समाज को प्रकाशमय किया हुआ है। कभी न हारना और कभी न थकना उनके अद्भुत गुण है। लॉक डाउन होने के बाद लगातार समाज को अपनी सेवाएं देते रहे हैं। लॉकडाउन में हजारों लोगों को भोजन की व्यवस्था कराएं। समाज के साथ सदैव मिलकर कोई भूखा ना सोए इस पर उन्होंने विशेष ध्यान दिया। उन्होंने हजारों कैंसर पीड़ित लोगों की या गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों की सहायता किए है। उन्होंने मुख्यमंत्री कोष के द्वारा उन हजारों लोगों की इलाज के लिए धन की व्यवस्था कराएं हैं। कर्म पथ पर सदैव अडिग रहे हैं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भैया।


जिन्होंने जीवन में कभी हार नहीं माना। लाख बुराइयां होने के बाद भी समाज सेवा से पांव पीछे नहीं खींचा। जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा समाज सेवा में समर्पित किए हैं। सत्येंद्र शर्मा भैया जो सदैव अपने कार्यों से समाज को प्रेरणा देते रहते हैं। अच्छाई आज भी जिंदा है। यह बात सदैव समाज को अवगत कराते रहते हैं। सेवा ही धर्म एवं कर्म है। उन्होंने सैकड़ों माताओं कि सेवा किया हुआ है। उन्होंने सदैव समाज को ही परिवार माना है। सेवा उनके जीवन का लक्ष्य रहा है। उन्होंने सदैव मातृ पितृ सेवा को जीवन का लक्ष्य माना है। साफ दिल एवं नेक इंसान हैं। जो सदैव सामने वालों को, समाजसेवियों को नई प्रेरणा देते रहते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भैया।


जिनकी मुस्कान ही पहचान हो। जिनके अंदर समाज के प्रति सेवा और समर्पण की भावना हो। जो सेवा को ही अपना धर्म एवं कर्म मानते हो। अमितेश श्रीवास्तव भैया जिन्होंने लॉकडाउन होने के बाद लगातार समाज में अपना सहयोग दिया। उन्होंने लगातार समाज के दीन दुखियों की सेवा करते रहे। संस्था के साथ मिलकर उन्होंने प्रवासी लोगों को सुखा खाद्य सामग्री प्रदान किया। वह समय-समय पर अपनी सेवा समाज को देते रहें। संस्था में लगातार वह अपना सहयोग देते रहते हैं। साथ ही अन्य लोगों से भी सहयोग करने की अपील करते हैं। विचार एवं व्यक्तित्व के धनी इंसान भैया सदैव संस्था का मनोबल बढ़ाते हैं। उन्होंने सदैव समाज के प्रति आत्म समर्पण की भावना रखा है।


अध्यात्म ही जिनकी धरोहर हो। जिन्होंने सदैव अपनी सभ्यता संस्कृति को आगे बढ़ाने की बात करते हो। जो सदैव प्रभु राम को ही अपना आदर्श मानते हो।मनीष केसरी भैया जी जो सदैव अपनी सेवा समाज को देते रहते हैं। अध्यात्म ही जिनकी जीवन है। जो सदैव प्रभु के गुणों की बखान करते रहते हैं। उन्होंने हर समय जितना हो सके। समाज की मदद करते रहते हैं। और सदैव समाज में नए जोश एवं उत्साह के साथ नया सवेरा लाने का प्रयत्न करते हैं। जो सदैव सेवा को ही अपना धर्म मानते हैं। कभी भी अपने कर्तव्यों से पांव पीछे नहीं खींचते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भैया।


          संस्था में गाया जाने वाला प्रार्थना    
            ।। जयति जय जय माँ सरस्वती  ।।
                   जयति वीणा धारणी
                  जयति पद्मासना माता
                  जयति शुभ वरदायिनी
                जगत का कल्याण कर माँ
                तुम हो विघ्न विनाशिनी
            ।। जयति जय जय माँ सरस्वती  ।।
               कमल आसन छोड़ कर माँ
                 देख जग की वेदना
               शान्ति की सरिता बहा दे
              फिर से जग में जननी माँ
           ।। जयति जय जय माँ सरस्वती  ।।
           ।। जयति जय जय माँ सरस्वती  ।।
           ।। जयति जय जय माँ सरस्वती  ।।
                    
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