U.P.Gov.Reg.no. 615 /16-17 मनुष्य की सहायता प्रथम धर्म है। उ.प्र.सरकार पंजी. सं. 615 /16-17
USS Foundation India
हे भगवान कितना बदल गया इंसान। आज इंसान ही इंसान को पहचानने से इंकार कर रहा है। आज सामाजिक स्थिति ऐसी हो गई है। कि अपने ही अपनों को पहचानने से इंकार कर रहे हैं। आप कौन हैं। हम आपको नहीं जानते हैं। आपका क्या काम है। मैं नहीं कर सकता हूं। हमसे कोई भी मदद की अपेक्षा मत रखिएगा। आपको काम कराना है, तो पैसा देना पड़ेगा। बिना पैसा दिए आपका कोई भी काम नहीं हो पाएगा। इंसान इस तरह की बातें करता हैं। आज सभी परेशान वह कोई भी हो। सभी अपने कार्यों को लेकर परेशान है। कैसे रोजी-रोटी चलें, कैसे जीविकोपार्जन चले और कैसे अपनी व्यवस्था सुदृढ़ रहे। इस पर वह लगातार चिंतन करते आ रहा है। सभी चीजें अस्त व्यस्त हैं। फिर भी इंसान को समझ नहीं है। इंसान एक दूसरे को लूटने में लगा है। जो दवा 1000 रुपए में मिलती है। उस दवा को अब इंसान लाखो में बेच रहा है। जो ऑक्सीजन सिलेंडर बहुत कम रेट पर मिलता था। अब उसका मुंह मांगा दाम मांग रहा है। हमारी समाज की ऐसी व्यवस्था हो गई है। कि हम आपको नहीं जानते आपको नहीं पहचानते ऐसी मानसिकता बन गई है। हम मन से भी किसी की सहायता नहीं करना चाहते हैं। हम अच्छी बातों को बोलना भी नहीं चाहते। हम किसी को मन से भी प्रशंसा नहीं करना चाहते। मेरे कहने का मतलब है। आपको फायदा होना चाहिए लेकिन फायदा इतना मत कमाओ की सामने वाले की दुख, दर्द और पीड़ा भी इकट्ठा करने लगो। आज सभी व्यक्ति तकलीफ में जीवन व्यतीत कर रहा है। और जिसका फायदा समाज की कुछ लोग उठा रहे हैं। जिसे हम भगवान मानते थे। उनके अंदर की इंसानियत खत्म हो गई है। जो लोग यह सोचते हैं। कि इस दुख की घड़ी में, मैं लूटकर सबसे अमीर बन रहा हूं। तो उनकी गलत मानसिकता है। आप अमीर नहीं सबसे ज्यादा गरीब बन रहे हो। क्योंकि इस दुख की घड़ी में आप सामने वाला व्यक्ति का दुख, दर्द एवं पीड़ा भी इकट्ठा कर रहे हो। और जब वह घड़ा भरेगा, तो आपको ही कष्ट देगा। हम इंसान एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे। अगर कोई अच्छा कार्य कर रहा है। तो उसकी तरह हमें करने की इच्छा नहीं बल्कि उसे कैसे नीचे गिराया जाए, इसकी इच्छा होती है। हम अपने आप से झूठ बोल सकते हैं। लेकिन उस ईश्वर से झूठ नहीं बोल सकते है। वह सब कुछ देख रहा है। सब कुछ समझ रहा है। और सब कुछ सुनना है। जिस दिन मानवता खत्म हो जाएगी। उस दिन दुख, दर्द एवं पीड़ा का विकराल रूप देखने को मिलेगा। एक दूसरे का हम सभी को हेल्प करना चाहिए। और जितना हो सके सहयोग करना चाहिए। हमें इस अवसर का फायदा नहीं उठाना चाहिए। हमें अवसरवादी नहीं बनना चाहिए। अपनी जीविकोपार्जन के लिए जो भी कुछ हो सके करना चाहिए, गलत नहीं है। लेकिन अवसर का फायदा उठाना यह गलत है। धन कमाना गलत नहीं है। लेकिन गलत तरीके से धन कमाना गलत है। हम सभी ईश्वर को नमन करते हैं और उसके बाद अपनी मानवता को खो देते हैं। ऐसा ना करें।
लेखनी - शशि शंकर पटेल जी ( सचिव - यू.एस.एस.फाउण्डेशन )
संस्था में गाया जाने वाला प्रार्थना ।। जयति जय जय माँ सरस्वती ।। जयति वीणा धारणी जयति पद्मासना माता जयति शुभ वरदायिनी जगत का कल्याण कर माँ तुम हो विघ्न विनाशिनी ।। जयति जय जय माँ सरस्वती ।। कमल आसन छोड़ कर माँ देख जग की वेदना शान्ति की सरिता बहा दे फिर से जग में जननी माँ ।। जयति जय जय माँ सरस्वती ।। ।। जयति जय जय माँ सरस्वती ।। ।। जयति जय जय माँ सरस्वती ।।