U.P.Gov.Reg.no. 615 /16-17 मनुष्य की सहायता प्रथम धर्म है। उ.प्र.सरकार पंजी. सं. 615 /16-17
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आज हम सभी अपने दिनचर्या में लगे हुए है। अपने कार्यों को और अच्छे ढंग से सुव्यवस्थित और सुसंगठित तरीके से कर रहे हैं। लोग अपनी कीमती समय निकालकर राष्ट्र की भलाई, समाज की भलाई में दे रहे हैं। क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अर्थात इस संसार में इस धरती पर जो भी मनुष्य जन्म लिया है। उसे अपने कर्तव्यों का निर्वाह सदैव करते रहना चाहिए। हम अच्छे कार्य कर रहे हैं। लेकिन अच्छे कार्य करते - करते, हमें कभी भी उग्रता का चोला नहीं पहनना चाहिए। अगर कोई अच्छा कार्य कर रहा है। और सामने वाला व्यक्ति भी अच्छा कार्य कर रहा है। लेकिन कोई आपसे कुछ कहता है। आपको कुछ बताता है। कुछ समझाता है। तो आपको सुनने की क्षमता होनी चाहिए। आप तुरंत ही उग्र हो जाए। और अपने आगे सब को नीचा दिखाने लगे। आप खुद की बड़ाई करने लगे। और आप स्वयं अपने मुख से यह कहने लगे कि, मैं सबसे अच्छा हूं। और मैं सबसे अच्छा कार्य कर रहा हूं। तो गलत है। आप कर रहे हैं। अच्छी बात है। लेकिन उग्रता व क्रोध नहीं होनी चाहिए। जिस तरह फलदार वृक्ष में फल लगने के बाद डालिया झुक जाती हैं। वह धरती को चुमने के लिए बेताब हो जाती हैं। उनकी डालियां पूरी तरह धरती को छूने लगती है। उसी तरह जब मनुष्य सर्वगुण संपन्न हो जाए। तो उसमें झुकाव होनी चाहिए। उसका आचरण, व्यवहार, चरित्र, परिवर्तित होना चाहिए। हृदय में ममता का सागर होना चाहिए। किसी को कुछ कहने पर, वह आप पर इस तरह गुस्सा हो जाता है। कि लगता है, कि जीवन में आप उसके सबसे बड़े शत्रु हैं। और वह सभी जगह आप का तिरस्कार, निंदा करने की कोशिश करता है। आपको कष्ट, दुख पहुंचाने की कोशिश करता है। आपके किए गए, अच्छे कार्यों को खराब बताने लगता है। और गुस्सा करने लगता है। असहनीय गुस्सा करके खुद को समाप्त करने लगता है। और ईश्वर की महिमा का गुणगान करने के साथ-साथ, घमंड में चूर हो जाता है। हनुमान जी की बात कहे। तो वह बहुत ही बलसाली पुरुष थे। हम सभी जानते हैं। उनमें अथा बल का सागर था। लेकिन जैसे ही चेतना का विकास हुआ। जब बड़े हुए तो, अपने शक्ति का घमंड खत्म हो गया। वह कहा करते थे। मैं राम के चरणों का दास हूं। गुस्सा खुद को जला देता है। अगर कोई आपसे कुछ कहे तो आप में सुनने की क्षमता होनी चाहिए। द्वापर, त्रेता और सत्य युग नहीं है। यह कलयुग है।
लेखनी - शशि शंकर पटेल जी ( सचिव - यू.एस.एस.फाउण्डेशन )
संस्था में गाया जाने वाला प्रार्थना ।। जयति जय जय माँ सरस्वती ।। जयति वीणा धारणी जयति पद्मासना माता जयति शुभ वरदायिनी जगत का कल्याण कर माँ तुम हो विघ्न विनाशिनी ।। जयति जय जय माँ सरस्वती ।। कमल आसन छोड़ कर माँ देख जग की वेदना शान्ति की सरिता बहा दे फिर से जग में जननी माँ ।। जयति जय जय माँ सरस्वती ।। ।। जयति जय जय माँ सरस्वती ।। ।। जयति जय जय माँ सरस्वती ।।